जिला कलेक्टर बालोद रानु साहू ने भू-जल के गिरते स्तर के कारण पानी को व्यर्थ न बहाने व पानी की सरंक्षण कर भविष्य मे पानी की कमी न हो इस अपील के साथ बच्चो के लिए दिया सन्देश
प्रिय बच्चों,
अपने घर में और आस-पड़ोस में आपने बड़े- बुजुर्गों को बात करते हुए सुना होगा कि जमीन के अंदर पहले खूब पानी हुआ करता था, जो अब बहुत कम हो गया है। कहीं कहीं पर तो आपने कुछ बंद हैंड पंप और खाली कुँए भी देखे होंगे। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हुआ?
जमीन के पानी के अत्यधिक दोहन और बारिश के पानी का समुचित संरक्षण नहीं हो पाने के कारण आज हमारे जिले बालोद में पानी की उपलब्धता में समस्या उत्पन्न हो गई है। चूँकि पानी का उपयोग सभी लोगों के द्वारा किया जाता है, तो इस समस्या के समाधान करने के लिए भी हम सबको एक होकर काम करने की आवश्यकता आ पड़ी है। अपने मन में कल्पना करें कि पानी के बिना मछली कैसे तड़पती है, हम मनुष्यों का हाल भी पानी के अभाव में ऐसा ही हो सकता है।
पहले के समय में पानी धीमी गति से देर तक बरसा करता था, और धरती का अधिकांश हिस्सा कच्चा था तो धीरे- धीरे पानी रिसता हुआ धरती में समा जाता था। मनुष्य पानी भी कम-कम उपयोग करता था जिससे कि जलस्तर अच्छा बना रहता था। लेकिन आज के समय में बरसात का स्वरूप बदला है, अब कम समय में ही तेज बारिश के साथ पानी गिर जाता है साथ ही पक्के आँगन और पक्की सड़कों-गलियों की संख्या बहुत अधिक हो गई है, जिससे बरसे हुए पानी का बड़ा भाग नालियों के माध्यम से बह जाता है, रिसते हुए कम ही पानी जमीन तक पहुँचता है वहीं मनुष्य इस बहुमूल्य पानी का उपयोग ज्यादा मात्रा में और लापरवाही के साथ करने लगा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो सोचिए कि आप जब बड़े होंगे तब पानी की क्या स्थिति होगी और पानी के अभाव में आपकी क्या स्थिति होगी जब आपके घर के आसपास सभी हैंडपंप और बोरवेल पानी देना बंद कर चुके होंगे।
आप सभी जिम्मेदार बच्चे हैं इसलिए मैं आपसे अपील करती हूँ कि आज से आप जहाँ कहीं भी पानी को व्यर्थ में बहता हुआ देखें तो उसको रोकने का प्रबंध करे।
चलिए हम सब मिलकर एक छोटा अभ्यास दैनिक रूप से करे।आप एक जल-सारिणी बना लें कि जिसमें आपके परिवार के प्रत्येक सदस्य के द्वारा दैनिक उपयोग में भिन्न-भिन्न कार्यों हेतु ली जा रही जलराशि को अंकित करें एवं उसका योग करके अपने परिवार के द्वारा उपयोग की जा रही दैनिक जलराशि निकालें। इसमें अंतिम कॉलम में ये भी लिखें कि कितना पानी ऐसा है जिसका एक कार्य के बाद दोबारा उपयोग में लाया जाता है। इसके बाद आप देखें कि क्या आपके अथवा परिवार के किसी सदस्य के द्वारा स्नान अथवा कपड़े धोने में अधिक जल का उपयोग हो रहा है, उनको पानी बचाने के लिए प्रोत्साहित करें। मैं जानती हूँ कि आपका दिमाग बहुत तेज है, आप ऐसी संभावनाएँ भी अवश्य तलाशें कि किस प्रकार स्नानघर से निकले हुए पानी अथवा किचन में सब्जियों को को धोने के बाद बचे हुए पानी का दोबारा किसी अन्य कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है, उदाहरण के लिए- आपके घर की साफ-सफाई में, गाड़ी धुलाई में, बागवानी में इत्यादि। आप जल-सारिणी को क्रमवार दैनिक रूप से भरते रहें एवं पिछले दिन की सारिणी से मिलाएँ कि कितनी जलराशि को बचाने में आप कामयाब हुए हैं।जल्द ही आपको विद्यालय की तरफ से जल संरक्षण हेतु एक परियोजना कार्य दिया जाएगा, उस परियोजना कार्य के अनुसार आप अपने घर में बारिश के पानी को बहने से रोकने के लिए एक रैन वॉटर हार्वेस्टिंग पिट का निर्माण अपने मित्रों व परिजनों के साथ मिलकर करेंगे और अपने अनुभव विद्यालय में साझा करेंगे।
जल-सारिणी के अनुसार सबसे ज्यादा पानी बचाने वाले एवं सर्वश्रेष्ठ सोख्ता पिट का निर्माण करने वाले विद्यार्थियों को ज़िला प्रशासन की तरफ से पुरस्कृत किया जाएगा।
हम जानते हैं कि आप के सहयोग से बालोद जिले को पानी की समस्या से मुक्ति दिलाई जा सकती है जिससे कि आपका भविष्य खुशहाली से व्यतीत होगा।
प्रिय बच्चों,
अपने घर में और आस-पड़ोस में आपने बड़े- बुजुर्गों को बात करते हुए सुना होगा कि जमीन के अंदर पहले खूब पानी हुआ करता था, जो अब बहुत कम हो गया है। कहीं कहीं पर तो आपने कुछ बंद हैंड पंप और खाली कुँए भी देखे होंगे। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हुआ?
जमीन के पानी के अत्यधिक दोहन और बारिश के पानी का समुचित संरक्षण नहीं हो पाने के कारण आज हमारे जिले बालोद में पानी की उपलब्धता में समस्या उत्पन्न हो गई है। चूँकि पानी का उपयोग सभी लोगों के द्वारा किया जाता है, तो इस समस्या के समाधान करने के लिए भी हम सबको एक होकर काम करने की आवश्यकता आ पड़ी है। अपने मन में कल्पना करें कि पानी के बिना मछली कैसे तड़पती है, हम मनुष्यों का हाल भी पानी के अभाव में ऐसा ही हो सकता है।
पहले के समय में पानी धीमी गति से देर तक बरसा करता था, और धरती का अधिकांश हिस्सा कच्चा था तो धीरे- धीरे पानी रिसता हुआ धरती में समा जाता था। मनुष्य पानी भी कम-कम उपयोग करता था जिससे कि जलस्तर अच्छा बना रहता था। लेकिन आज के समय में बरसात का स्वरूप बदला है, अब कम समय में ही तेज बारिश के साथ पानी गिर जाता है साथ ही पक्के आँगन और पक्की सड़कों-गलियों की संख्या बहुत अधिक हो गई है, जिससे बरसे हुए पानी का बड़ा भाग नालियों के माध्यम से बह जाता है, रिसते हुए कम ही पानी जमीन तक पहुँचता है वहीं मनुष्य इस बहुमूल्य पानी का उपयोग ज्यादा मात्रा में और लापरवाही के साथ करने लगा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो सोचिए कि आप जब बड़े होंगे तब पानी की क्या स्थिति होगी और पानी के अभाव में आपकी क्या स्थिति होगी जब आपके घर के आसपास सभी हैंडपंप और बोरवेल पानी देना बंद कर चुके होंगे।
आप सभी जिम्मेदार बच्चे हैं इसलिए मैं आपसे अपील करती हूँ कि आज से आप जहाँ कहीं भी पानी को व्यर्थ में बहता हुआ देखें तो उसको रोकने का प्रबंध करे।
चलिए हम सब मिलकर एक छोटा अभ्यास दैनिक रूप से करे।आप एक जल-सारिणी बना लें कि जिसमें आपके परिवार के प्रत्येक सदस्य के द्वारा दैनिक उपयोग में भिन्न-भिन्न कार्यों हेतु ली जा रही जलराशि को अंकित करें एवं उसका योग करके अपने परिवार के द्वारा उपयोग की जा रही दैनिक जलराशि निकालें। इसमें अंतिम कॉलम में ये भी लिखें कि कितना पानी ऐसा है जिसका एक कार्य के बाद दोबारा उपयोग में लाया जाता है। इसके बाद आप देखें कि क्या आपके अथवा परिवार के किसी सदस्य के द्वारा स्नान अथवा कपड़े धोने में अधिक जल का उपयोग हो रहा है, उनको पानी बचाने के लिए प्रोत्साहित करें। मैं जानती हूँ कि आपका दिमाग बहुत तेज है, आप ऐसी संभावनाएँ भी अवश्य तलाशें कि किस प्रकार स्नानघर से निकले हुए पानी अथवा किचन में सब्जियों को को धोने के बाद बचे हुए पानी का दोबारा किसी अन्य कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है, उदाहरण के लिए- आपके घर की साफ-सफाई में, गाड़ी धुलाई में, बागवानी में इत्यादि। आप जल-सारिणी को क्रमवार दैनिक रूप से भरते रहें एवं पिछले दिन की सारिणी से मिलाएँ कि कितनी जलराशि को बचाने में आप कामयाब हुए हैं।जल्द ही आपको विद्यालय की तरफ से जल संरक्षण हेतु एक परियोजना कार्य दिया जाएगा, उस परियोजना कार्य के अनुसार आप अपने घर में बारिश के पानी को बहने से रोकने के लिए एक रैन वॉटर हार्वेस्टिंग पिट का निर्माण अपने मित्रों व परिजनों के साथ मिलकर करेंगे और अपने अनुभव विद्यालय में साझा करेंगे।
जल-सारिणी के अनुसार सबसे ज्यादा पानी बचाने वाले एवं सर्वश्रेष्ठ सोख्ता पिट का निर्माण करने वाले विद्यार्थियों को ज़िला प्रशासन की तरफ से पुरस्कृत किया जाएगा।
हम जानते हैं कि आप के सहयोग से बालोद जिले को पानी की समस्या से मुक्ति दिलाई जा सकती है जिससे कि आपका भविष्य खुशहाली से व्यतीत होगा।
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