लम्बे समय से शहरों के स्कूलो मे जमे अतिशेष शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलो के रिक्त पदों पर पदस्थ कर ग्रामीण क्षेत्रो मे शिक्षकों की कमी को दूर किया जाय
रायपुर - स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा लगभग सात हजार शिक्षकों को अतिशेष बताया गया है और ये अतिशेष शिक्षक कौन से स्कूलो मे पदस्थ है ये सबसे बड़ा सवाल है इस सवाल का जवाब देते हुए नवीन शिक्षक संघ छ. ग. के प्रदेश अध्यक्ष विकास सिंह राजपूत ने कहा की स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जो जानकारी दिया गया है की प्रदेश के स्कूलो मे सात हजार शिक्षकों को पद से अधिक बताया जा रहा है तो फिर ग्रामीण क्षेत्रो के स्कूलो मे शिक्षकों की संख्या पद संख्या अनुरूप आज भी कमी क्यों बनी हुई है इसका जवाब एकमात्र है की ग्रामीण क्षेत्रो मे शिक्षकों की कमी बनी हुई है वहीं शहरी क्षेत्रो के स्कूलो मे पद से अधिक संख्या मे शिक्षक वर्षो से जमे हुए है जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रो मे लगातार शिक्षकों की कमी बनी हुई है प्रदेश अध्यक्ष विकास सिंह राजपूत ने आगे कहा की शहरों के स्कूलो मे अतिशेष शिक्षकों की संख्या व ग्रामीण क्षेत्रो के स्कूलो मे शिक्षकों की कमी की जिम्मेदारी संभाग व जिला स्तर के अधिकारियों की है क्योंकि लगातार शिक्षकों की भर्ती किया जा रहा है नवीन भर्ती हुए शिक्षकों को बिना काउंसलिंग किये मन पसंद शहरी क्षेत्र के स्कूलो मे पदस्थ कर देना वही तबादला मे प्रतिबंध होने के बाद भी समन्वय के नाम से लगातार शिक्षकों की तबादला किया जा रहा है जिससे ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों मे शिक्षकों की कमी बनी हुई है प्रदेश अध्यक्ष विकास सिंह राजपूत ने कहा है की शहरों मे जमे पद से अधिक अतिशेष शिक्षकों को पहले ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलो के एकल व कम शिक्षकों वाले स्कूलो मे पदस्थ करना चाहिए जिससे प्रदेश मे कितने शिक्षकों की कमी है व कितने नई भर्ती करने आवश्यकता है स्पष्ट पता चलेगा अभी वर्तमान मे युक्तियुक्तकरण करने के बजाय सबसे पहले सात हजार अतिशेष शिक्षको को जिस स्कूलो मे शिक्षकों की कमी है वहाँ पदस्थ करना चाहिए फिर रिक्त पदों के अनुसार नवीन शिक्षक भर्ती करना चाहिए जिससे प्रदेश के स्कूलो मे शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सकता है साथ ही शहरों मे अतिशेष व ग्रामीण क्षेत्रो मे शिक्षकों के कमी के कारण की जाँच कर जिम्मेदार अधिकारीयों व कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही किया जाय जिससे भविष्य मे शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलो मे पद सरंचना अनुरूप शिक्षकों की संख्या संतुलन बना रहे।
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