रायपुर-छत्तीसगढ़ प्रदेश मे स्कूलो मे छोटे-छोटे बच्चो को शिक्षा दे रहे शिक्षको को तीन माह से वेतन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है,बार-बार कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद भी वेतन नही मिलना कर्मठ शिक्षको के साथ अन्याय है,दरअसल मामला 2019 जुलाई मे संविलियन हुए शिक्षको के साथ जुड़ा हुआ है,2019 जुलाई मे संविलियन हुए शिक्षको मे से लगभग पूरे प्रदेश मे 30%शिक्षको को तीन माह से वेतन नही मिला है वेतन नही मिलने के कारण संविलियन हुए शिक्षको के समक्ष भारी आर्थिक संकट आ गया है,उच्च अधिकारियों से सम्पर्क करने पर बताया जाता है की प्राण नम्बर शिफ्टिंग नही होने के कारण या रायपुर से सर्वर डाउन होने के कारण पूरे प्रदेश मे 30%शिक्षको को वेतन का भुगतान नही हो सका है,जिला व ब्लॉक स्तर के अधिकारियों द्वारा इस मामले मे ज्यादा जानकारी नही दिया जा रहा है,कोषालय से ही समस्या है बस यही जानकारी दिया जा रहा,लेकि जिन शिक्षको को अब तक तीन माह से वेतन नही मिला है ऐसे शिक्षको को अपने परिवार के लालन-पालन के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है,नवीन शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश पदाधिकारी गिरीश साहू,अभिनय शर्मा,दुष्यंत कुम्भकार,अमितेश तिवारी,रूपेंद्र सिन्हा,अजय कड़व,संजय साहू,अमित नामदेव,ब्रिज नारायण मिश्रा,राजेश शुक्ला,गंगा पासी,बलविंदर कौर,नंदिनी देशमुख,संगीता बैस ने राज्य सरकार के संवेदन शील मुख्यमंत्री जी से जल्दी ही 2019 जुलाई मे संविलियन प्राप्त शिक्षक को तीन माह से वेतन नही मिला है इस पर संज्ञान लेते हुए वित्त विभाग,राज्य कोषालय विभाग व शिक्षा विभाग को तीन माह का वेतन जारी करने हेतु निर्देशित करने की अपील किया है,प्रदेश अध्यक्ष विकास सिंह राजपूत व उमा जाटव ने कहा है की संविलियन होने के बाद भी लगभग 30% शिक्षको को तीन माह से वेतन नही मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है,अगर प्राण नम्बर मे त्रुटि है है तो इसे एक हप्ते मे सुधारकर नया प्राण नम्बर जनरेट कर वेतन भुगतान कर देना था प्रदेश के संवेदनशील माननीय मुख्यमंत्री जी को इस वेतन समस्या पर तुरन्त संज्ञान लेकर तीन माह का वेतन भुगतान हेतु उच्च अधिकारियों को निर्देशित करने के साथ-साथ वेतन भुगतान मे हिल-हवाला करने वाले सम्बधित अधिकारी-कर्मचारी के ऊपर कार्यवाही सुनिश्चित करना चाहिए जिससे भविष्य मे शिक्षको को अपने ही वेतन के लिए कार्यालय का चक्कर लगाना न पड़े,साथ ही वेतन भुगतान की मांग को लेकर प्रदेश के शिक्षको को स्कूल छोड़कर सड़क पर बैठकर धरना प्रदर्शन करने हेतु बाध्य न होना पड़े,
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